भारत और विश्व के के प्रमुख धर्म in Hindi

हम आपको भारत और विश्व के प्रमुख धर्म -धार्मिक सम्प्रदाय अथवा समुदाय Worlds Religion के बारे में जानकारी देने की कोशिस कर रहे हैं.

 भारत और विश्व के प्रमुख धर्म और हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी



1. हिन्दू धर्म --  हिन्दू धर्म विश्व का एक मात्र ऐसा धर्म है जो किसी व्यक्ति विशेष द्वारा प्रवर्तित नहीं है। यह अनेक मतों एवं सम्प्रदायों में विभक्त होने पर भी अपनी सहिष्णुता, आत्मसात क्षमता एवं विश्वबन्धुत्व भावना के कारण असंख्य ऋषियों, मुनियों, दार्शनिकों के ज्ञान एवम् अनुभूतियों से निरन्तर समृद्ध होता हुआ प्राचीनतम वैदिक काल से अद्यावधि जीवित है। इसी से यह सनातन भी कहा जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में आस्तिकता,एकेश्वरवाद, त्रिदेवों (सृजन-ब्रह्मा, पोषण- विष्णु, विनाश- शंकर) की प्रधानता, शक्ति पूजा, पुरुषार्थ चतुष्टय (अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष) कर्मवाद एवम् पुनर्जन्म में विश्वास, अवतारवाद, मूर्ति पूजा, नैतिकता एवम् सदाचार पर बल, सहिष्णुता एवम् विश्वबन्धुत्व, वर्णाश्रम व्यवस्था (चार जाति एवम् ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास नामक चार आश्रम) आदि हैं। इस धर्म के मुख्यतः तीन सम्प्रदाय हैं 

(i) वैष्णव

(ii) शैव

(iii) शाक्त


2. वैष्णव सम्प्रदाय (भागवत धर्म) -- भगवान विष्णु में आस्था रखने वाला सम्प्रदाय वैष्णव है। ऋग्वैदिक काल में विष्णु आर्यों के देवता थे। इसमें विष्णु के 24 अवतार माने जाते हैं। जिसमें राम, कृष्ण आदि दस प्रमुख हैं ।


3. शैव सम्प्रदाय - अनेक विद्वानों के अनुसार शिव पूजा का सम्बन्ध हड़प्पा संस्कृति से है किन्तु शिव वैदिक देवता भी हैं जिन्हें महेश्वर, रुद्र, पशुपति, शंकर आदि के नामों से जाना जाता है। इस सम्प्रदाय के सबसे बड़े दार्शनिक आदि शंकराचार्य थे जिन्होंने चार मठों (ज्योतिष्पीठ-बद्रीनाथ उ०प्र०, गोवर्धनपीठ-जगन्नाथ पुरी उड़ीसा, शारदापीठ- द्वारका गुजरात, श्रृंगेरीमठ - मैसूर (कर्नाटक) की स्थापना कर धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ किया।


4. शक्ति सम्प्रदाय --  इस सम्प्रदाय के अनुयायी मातृ शक्ति की पूजा करते हैं। इनमें दुर्गा, काली, लक्ष्मी, चंडी, अन्नपूर्णा आदि प्रमुख हैं जिनका भारत के पूर्वी भाग में अधिक प्रचलन है।


5. धार्मिक ग्रन्थ -- हिन्दू धर्म का प्रमुख ग्रन्थ वेद है जिसमें संहिता, ब्राह्मण आरण्यक,एवं उपनिषद् सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त कल्पसूत्र, स्मृतियाँ (प्रमुख मनुस्मृति), रामायण, महाभारत, तिरुकुरल, पुराण, निबन्ध ग्रन्थ तथा रामचरित मानस आदि प्रमुख हैं। 

(i) वेद चार हैं 

(क) ऋग्वेद इसमें विविध देवताओं की स्तुतियाँ संकलित हैं, यह सबसे प्राचीन है।

(ख) यजुर्वेद -- इसमें यज्ञों से सम्बन्धित मंत्र हैं।

(ग) सामवेद -- इसमें यज्ञ के अवसर पर गेय मंत्र संकलित हैं ।

(घ) अथर्ववेद - लौकिक विषयों से सम्बन्धित इस वेद में विभिन्न रोगों एवं ।


बाधाओं के निवारण से सम्बद्ध मंत्र हैं आसुरी यहाँ यह भी ज्ञातव्य है कि वेद के प्रथम भाग संहिताओं में मात्र मंत्रों का संकलन है । 

(ii) प्रत्येक वेद के एक-एक उपवेद एवं वेदांग हैं। वेदांगों में कल्पसूत्र हैं जिनमें यज्ञादि धार्मिक विषयों का विवेचन हैं।

(iii) ब्राह्मण गद्य में लिखित इन ग्रन्थों में यज्ञादि का विवेचन एवं संहिता मंत्रों का विनियोग भी है। आरण्यक तथा उपनिषद् ब्राह्मण के ही भाग हैं जिनमें से आरण्यकों में आरण्य (वन) में पठनीय तथा गोपनीय आध्यात्मिक विषयों का विवेचन है और उपनिषदों में ब्रह्म तथा आत्मा के सम्बन्ध में गम्भीर दार्शनिक चिन्तन है।

(iv) तिरुकुरल - तमिल में लिखित तिरुकुरल महाकवि तिरुवल्लुवर की प्रसिद्ध रचना है जिसमें नीति (धर्म, राजनीति (अर्थ), प्रेम (काम) का सुन्दर विवेचन है। (v) पुराण - विष्णु पुराण, शिव पुराण आदि 18 पुराण हैं जिनमें सृष्टि, इतिहास, धर्म व्यवस्था का वर्णन है।

(vi) रामायण आदि काव्य हैं जिनमें राम के जीवन का चित्रण है, महाभारत ऐतिहासिक काव्य है, जिसके प्रमुख अंग गीता में ज्ञान, भक्ति, कर्म योग का सुन्दर समन्वय है। हिन्दी में लिखित रामचरित मानस धार्मिक महाकाव्य है, जिसमें हिन्दू धर्म के मान्य सिद्धान्तों का समन्वयात्म विवेचन है। इन सभी काव्यों में हिन्दू धर्म, संस्कृति, राजनीति, दर्शन का ज्ञान भरा है।


प्रमुख स्मृतियाँ 


1. मनु स्मृति

2. याज्ञवलक्य स्मृति

3. नारद स्मृति

4. पराशर स्मृति

5. बृहस्पति स्मृति 

6. कात्यायन स्मृति

6. जैन धर्म- जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में प्रथम ऋषभदेव थे एवं अन्तिम कुण्ड ग्राम (वैशाली - मुजफ्फरपुर) के राजपरिवार में 540 ई० पू० में जन्में महावीर थे जिनका निर्वाण 468 ई० पू० में पावापुरी (राजगृह पटना) में हुआ था । श्वेताम्बर एवं दिगम्बर इनके दो पंथ हैं एवं अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, पांच सिद्धान्त हैं। सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चरित्र इसके त्रिरत्न एवं द्वादश अंग, उपांग, दस प्रकीर्ण, षट छेदसूत्र, चार मूल सूत्र, विविध साहित्य एवं छह धर्म ग्रन्थ हैं। यह वेदों की प्रमाणिकता एवं उपनिषद् के ब्रह्मवाद में विश्वास नहीं करते जबकि आत्मा के अमरत्व तथा सभी पदार्थ में जीवन को मानते हैं। इन्होंने वैदिक कर्मकाण्ड का विरोध किया है।


7. बौद्ध धर्म - 563 ई० पू० में लुम्बिनी (कपिलवस्तु) में जन्में गौतम बुद्ध इसके प्रवर्तक थे जिन्हें बोधगया (गया) में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। 483 ई० पू० में कुशीनगर (देवरिया) में इनको निर्वाण (मृत्यु प्राप्त हुआ (i) जीवन दुःख है (ii) दुःख का कारण इच्छा एवं पुनर्जन्म का कारण असंतुष्ट इच्छा है, (iii) इच्छा की समाप्ति सर्वोच्च कल्याण है (iv) उसकी समाप्ति का मार्ग अष्टांग है । यहीं बौद्ध धर्म के चार सत्य हैं। सम्यक्दृष्टि, सम्यक्संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीव, सम्यक् व्यायाम (प्रयत्न), सम्यक् स्मृति, सम्यक् समाधि यंग हैं। इसकी विशेषता में वर्ग जनित भेदभाव को अस्वीकारना, लोक भाषा का प्रयोग, कर्म की प्रधानता प्रमुख है। महायान एवं हीनयान दो पंथ हैं तथा जातक एवं त्रिपिटक प्रमुख ग्रन्थ हैं। यह वैदिक कर्मकाण्ड विरोधी थे। वेदों की प्रामाणिकता को नहीं मानते थे अहिंसा एवं परिवर्तनशीलता के समर्थक थे।


8. कन्फ्यूशियस धर्म - 551 ई० पू० में चीन के लू-प्रान्त में जन्मा कन्फ्यूशियस एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक एवं धर्मनेता था इसके विचारों को चीन की जनता ने धर्म के रूप में अपन जो कि पांच कालजयी ग्रन्थ में संकलित है। शिष्टाचार, परोपकार, सद्व्यवहार, दूसरों का सम्मान करना, गलती स्वीकारना आदि इस धर्म के प्रमुख तत्त्व हैं। कन्फ्यूशियस की मृत्यु 479 ई० पू० में हुई थी।


9. पारसी धर्म - इस धर्म का उदय ईरान में 800 ई० पू० के आस-पास हुआ था एवं इसके प्रवर्तक जनथुस्त्र थे जिनके उपदेश जेदावेस्ता नामक ग्रंथ में संकलित है। आत्मा का अमरत्व एवं कर्म के अनुसार फल इसके दो सिद्धान्त हैं जबकि आडम्बर एवं अंधविश्वासों से दूर रहना, चरित्र निर्माण करना, सत्य के प्रति आस्था, अग्नि सूर्य की उपासना प्रमुख उपदेश हैं। 

10. यहूदी धर्म - इस धर्म के प्रवर्तक मूसा थे जो कि 1300 ई० पू० में यहूदियों को मिस्र से फिलिस्तीन लाए। वास्तव में यहूदी प्राचीन काल में मेसोपोटामिया (ईरान) में रहते थे जो बाद में फिलिस्तीन गये एवं 1700 ई० पू० में मिस्र चले गये थे। बाईबिल का पूर्वाद्ध (ओल्ड टेस्टामेंट) इससे सम्बन्धित है। यह एकेश्वरवाद कर्मवाद एवं मसीहाबाद में विश्वास करते हैं। एपो कूफा भी इनकी धर्म पुस्तक है।


11. ईसाई धर्म -- बेथलहम में हुआ था। बाइबिल इनका भी प्रमुख ग्रंथ है पर इसका उत्तरार्द्ध (न्यू टेस्टामेंट) .. इसके संस्थापक जीसस क्राइस्ट थे जिनका जन्म जेरुलसम के पास इनसे सम्बन्धित है जो यहूदी धर्म (ओल्ड टेस्टामेंट) का संशोधित रूप है। ईश्वर में अटूट विश्वास एवं चारित्रिक तथा कल्याणकारी गुणों का विकास इसके दो आधार तत्व हैं । कैथोलिक (परम्परावादी एवं पोप में श्रद्धा रखने वाले) एवं प्रोटेस्टेंट (प्रगतिशील एवं आत्म शुद्धि पर बल देने वाले) इसके दो सम्प्रदाय हैं। प्रोटेस्टेंट शब्द का प्रयोग प्रथमतः मार्टिन लूथर एवं उसके चर्च विरोधी सहयोगियों के लिए किया गया था ।


12. इस्लाम धर्म -  इस धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब थे जिन्होंने तत्कालीन अरब निवासियों को अंध विश्वास एवं धार्मिक आडंबरों से मुक्त करने का संकल्प लिया था । इनका जन्म मक्का में हुआ था एवं 622 ई० में इन्हें रूढ़िवादियों के उग्र विरोध के कारण मदीना जाना पड़ा; फलतः मक्का एवं मदीना इस्लाम धर्म के दो पवित्र तीर्थ बने । पवित्र धर्म ग्रन्थ कुरान शरीफ अल्लाह से मु० साहब को प्राप्त अल्लाह का सन्देश है। इस्लाम कर्म एवं आचरण प्रधान धर्म है जो (एकेश्वरवाद) में विश्वास रखता है। कल्मा, नमाज, रोजा, जकात, हज इनके पांच पुण्य कर्म हैं। यह मनुष्य की समानता एवं भाई-चारे पर आधारित है एवं मूर्ति पूजा का विरोध करता है।


13. सिक्ख धर्म - 1469 ई० में तलवंडी (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में जन्में गुरु नानक को आदि गुरु मानकर उनकी सीखों एवं उपदेशों का पालन करने वाले ही सिक्ख कहलाते हैं जिनके दसवें एवं अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह थे। गुरु अंगद ने 16वीं सदी में गुरुमुखीलिपि चलायी गुरु अमरदास ने लंगर (सामूहिक रसोई) प्रथा शुरू किया, गुरु रामदास ने रामदास पुर (वर्तमान अमृतसर) बसाया एवं गुरु अर्जुनदेव ने स्वर्णमन्दिर निर्माण कराया एवं 1604 में आदि ग्रन्थ लिखा जिसमें गुरु नानक की शिक्षाएँ हैं, यही ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहब के नाम से जाना जाता है। गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को खालसा नाम दिया एवं केश, कंधा, कच्छा, कड़ा, कृपाण धारण करने की प्रथा शुरू किया। यह धर्म एकेश्वरवाद में विश्वास करता है और जाति प्रथा, छुआ-छूत अन्धविश्वास एवं कर्मकांड, मद्यपान तथा धूम्रपान का विरोध करता है। करुणा, संतोष, संयम, ईमान, प्रेम, सहिष्णुता, सत्कर्म, भक्ति आदि इस धर्म के प्रमुख अंग हैं। गुरु हरगोविन्द ने इसे सैनिक जाति बनाया एवं इस्लाम स्वीकार न करने पर गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंजगेब ने 1675 ई० में करा दिया ।


सर्वधर्म निष्कर्ष 

(1) सभी धर्म ईश्वर ( सर्वोच्च शक्ति) में आस्था एवं विश्वास पर आधारित है एवं उससे तादात्म्य स्थापित करना सभी का लक्ष्य एवं गन्तव्य है ।

(ii) सभी धर्मों का लक्ष्य एक है ( मानव कल्याण) जिसके प्राप्ति के भिन्न-भिन्न मार्ग हैं। इनकी भिन्नता का कारण इनके देश काल की भौगोलिक, राति-रिवाज एवं परम्परा तथा प्रकृति सम्बन्धी भिन्नता है ।

(iii) हिन्दू धर्म को छोड़कर सभी धर्मों का उदय तत्कालीन धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध सुधार आन्दोलन एवं जन जागरण के रूप में हुआ है।

(iv) सभी धर्म पवित्रता, नैतिकता, भाई-चारे एवं सहयोग पर बल देते हैं।

(v) यदि व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो हिन्दू धर्म में सभी धर्म समाहित नजर आते हैं भले ही वह बाह्य रूप से भिन्न क्यों न दिखाई पड़ते हों। व्यापकता के लिए इसे आदि या सनातन धर्म कहना उपयुक्त होगा। (लेखक का व्यक्तिगत विचार)

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